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साका

‘‘ साका ’’ राजपूतों की परम्परा जौहर और साका- भारत देश की पतिव्रता भारत देश की राजपूतानियों और वीर राजपूतों के आत्मबलिदान की परम्परा रही है। महिलाओं को अपनी आंखों के सामने जौहर ज्वाला में जलकर समाप्त होते देख राजपूत निश्चिन्त होकर केशरिया वस्त्र धारण कर इस निश्चय के साथ रण क्षेत्र में उतरते थे कि या तो विजयी होकर लौटेंगे या युद्ध करते हुए प्राण देंगे। राजपूत किले के द्वारा खोल भूखे सिंहों की तरह शत्रु भी सेना पर टूट पडते थे व जीवन के अंतिम क्षणों तक युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त होते थे। इस प्रकार राजपूतों द्वारा किये गये आत्मोत्सर्ग को ‘‘साका’’ कहा गया है। राजपूतों की जौहर व साके जैसे प्रथाएं दुनिया की किसी अन्य जातियों में नहीं पाई जाती है। सतीत्व की रक्षा के लिए क्षत्राणियों द्वारा सामूहिक रूप से अपने जीवन को इस प्रकार ‘‘जौहर’’ के रूप में समर्पित करने का कोई दूसरा उदाहरण विश्वभर में देखने को नहीं मिलता। लेखक. आशुतोष सिंह शेखावत