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मीना बाजार में भूखा अकबर महान

मीना बाजार में भूखा अकबर महान वासना के भूखे अकबर ने अपनी हवस को पूरा करने के लिए आगरा के किले के सामने मीना बाजार प्रारम्भ करवाया था। उसके आदेश के अनुसार मीना बाजार में दुकान लगाने वाली सभी महिलाएं होती थी, एवं बाजार में प्रवेश भी महिलाओं के लिए ही था। पुरूषों का प्रवेश वर्जित था। इस बाजार में सभी सामान्य जनों के परिवारों की महिलाओं से लेकर सेठ-साहूकारों, राजा, एवं दरबारियों की महिलाओं को भी आने को कहा गया था। मीना बाजार केवल महिलाओं के लिए होने से आने वाली सभी महिलाएं बेपर्दा होकर खरीदी के लिए घूमती थी। अकबर अपनी दासियों के साथ स्त्रीवेश में घूमता और जो भी सुन्दर स्त्री अकबर की नजरों में चढती, अकबर अपनी दासियोें से कहकर उस स्त्री को बुलवाता और उसकी इज्जत लूटकर अपनी हवस नपूरी करता था। इन महिलाओं में कई बडे परिवारों की स्त्रियां भी जो पसंद आ जाती उनकी इज्जत लूट लेता था। महिलाएं अपनी लाज के कारण मुंह बंद रखती, यदि पुरूषों तक बात पहूंचती तो भी मौत के भय से कोई मुंह नहीं खोल पाता, इस प्रकार प्रति सप्ताह किसी न किसी महिला के साथ बलात्कार का यह क्रम चलता रहा। एक समय बीकानेर के राव कल्याणमल की पुत्र-वधुओं को विवश होकर मीना बाजार मंे जाना हुआ, जिनमें एक सिसौदिया शक्तिसिंह की बेटी और हिन्दुजा सूर्य महाराणा प्रताप की भतीजी किरणदेवी थी जो पृथ्वीराजसिंह राठौर की पत्नि थी।ै किरणदेवी को पता था आज कुछ अनहोनी हेा सकती है, सो वह अपनी कमर में कटार छुपाकर ले गई मीना बाजार मंे अकबर ने किरणदेवी को जब देखा तो रूप सौंदर्य को देखता ही रह गया और बिना सोचे समझे अपनी दासियों के माध्यम से किरणदेवी को जनता महल में बुला लिया। अकबर ने जैसे ही किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की प्रत्यंुतपननमति से किरण ने निर्णय लिया और भूखी शेरनी की भांति अकबर पर टूट पडी। अकबर कुछ समझ पाता उसके पूर्व ही करण देवी ने उसे भूमि पर दे पटक कर अपनी कमर में घुंसी कटार निकाली और छाती पर पैर रखकर जैसे ही कटार वाला हाथ उपर उठाया अकबर को सामने साक्षात् मौत खडी दिखी। किरणदेवी का रौद्ररूप और क्रोध से हुई लाल आंखें देखकर अकबर कांप उठा और दोनों हाथ जोडकर गिडगिडाने लगा मुझे माफ करो देवी मुझसे भूल हो गई। किरणदेवी ने कहा कसम खा आज के बाद मीना बाजार नहीं लगेगा और किसी नारी को परेशान नहीं करेगा। अकबर ने कसम खाकर सब बात स्वीकार की। उस दिन के बाद कभी मेला नहीं लगा। इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित सगत रासो में पृष्ठ 632 पर दिया गया है। बीकानेर संग्रहालय मं लगी एक पेंटिंग इस दोहे के माध्यम से बताया गया है - किरण सिंहनी सी चढी, उपर खींची कटार। भीख मांगता प्राण की, अकबर हाथ पसार।। अकबर की छाती पर पैर रखकर उपर कटार खींच खडी वीर बाला किरण का चित्र आज भी जयपुर के संग्रहालय में सुरक्षित है। हजारों महिलाओं को बलात् हरम मं डालने वाला और मीना बाजार की आड में महिलाओं से बलात्कार करने वाला अकबर महान कैसे हो सकता है। लेखक. आशुतोष सिंह शेखावत